14 जनवरी 2023

मिलता सुअवसर दुबारा नहीं

 गीतिका
छंद- विध्‍वंकमालिका (मात्रिक)
मापनी- 221 221 221 2
पदांत- नहीं
समांत- आरा

मिलता सुअवसर दुबारा नहीं।
किस्‍मत बदलता सितारा नहीं।1।

धीरज रखा खूब मौके मिले,
जो भी बुरे वक्‍त हारा नहीं।2।

बच के रहें आग, पानी,  हवा,
करते दया या इशारा नहीं।3।

काँटे मिले प्रेमियों को सदा,
है दग्ध ही चाँद, तारा नहीं।4।

‘आकुल’ समझना कि दुनिया भरे,
बैठे बिठाये गुजारा नहीं।5।

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