मुक्तक
1
उत्थान-पतन जीवन में अपरिहार्य है।
गुरु का हाथ अरु सदाचरण अनिवार्य है।
'आकुल' उड़ पतंग की भाँति छू ले गगन,
थाम लेंगे यदि किया शिरोधार्य है।
2
कृत्रिम प्रकाश की बेलों से अब रोशन होते हैं त्योहार।
कृत्रिम लड़ियों, फुलबतियों से अब रोशन होते घर द्वार।
कृत्रिमता ने जीवन में भी दिये कई कृत्रिम दस्तूर,
कृत्रिम मुस्कानों से निभते अब व्यवहार, अतिथि-सत्कार ।
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उत्थान-पतन जीवन में अपरिहार्य है।
गुरु का हाथ अरु सदाचरण अनिवार्य है।
'आकुल' उड़ पतंग की भाँति छू ले गगन,
थाम लेंगे यदि किया शिरोधार्य है।
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कृत्रिम प्रकाश की बेलों से अब रोशन होते हैं त्योहार।
कृत्रिम लड़ियों, फुलबतियों से अब रोशन होते घर द्वार।
कृत्रिमता ने जीवन में भी दिये कई कृत्रिम दस्तूर,
कृत्रिम मुस्कानों से निभते अब व्यवहार, अतिथि-सत्कार ।
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