28 मार्च 2023

मन हो जाए गंगा-यमुना-सरस्‍वती

 गीतिका

छंद- लावणी

हे वागीशा हंसवाहिनी,वीणापाणि माँ सरस्‍वती ।

श्‍वेत पुष्‍प चरणों में अर्पित, माँ स्‍वीकारों है विनती ।1।

माते है साष्‍टांग दंडवत, निर्मल मन मेरा कर दो,

बुद्धि प्रखर हो ऐसा वर दो, कभी न मुझसे हो गलती ।2।

गति जीवन की हो निर्बाधित, चलती रहे लेखनी बस,

समय कठिन हो कण्‍टकीर्ण पथ, साँसें तुझे रहें भजती ।3।

ना दुर्वचन कहे जिह्वा ना आए ही दुर्भाव कभी,

जीवन हो निष्‍काम कर्म को सदा समर्पित हो हस्‍ती ।4।

सबको ही सद्बुद्धि मिले माँ, हे पद्मजा प्रगति श्रेया,

आकुल का मन हो जाए माँ गंगा-यमुना-सरस्‍वती ।5।

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