31 मार्च 2023

गिरत पड़त रामचन्‍द्र (रामनवमी के अवसर पर)

 मूल छंद- उड़ि‍याना 

गिरत पड़़त रामचंद्र, सीखत घुटमनियाँ ।

चलत देख बलिहारी, माँ लेय बलैयाँ ।।  

हाथ लिए धनुष बाण, देखत चितवन सौं ।

उछर उछर सुनत रहे, पग की नुपरन कौं ।।

 मुक्‍तक 

गिरत पड़़त रामचंद्र, सीखत घुटमनियाँ 

चलत देख बलिहारी, माँ लेय बलैयाँ।।  

हाथ लिए धनुष बाण, देखत चितवन सौं।

उछर-उछर करत रहे, गोदी ले मैयाँ ।।

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