2 मई 2023

छोटी-छोटी खुशियाँँ ढूँढ़ो

गीतिका

छंद- कुकुभ
पदांत- लाे
समांत- ई

छोटी-छोटी खुशियों ढूँढ़ों, जीवन मिल-जुल कर जी लो ।
जीवन घुट्टी प्रेम पियाला, जितना हो भर कर, पी लो ।1।

जिनसे करते प्रेम, कमी हो, उनमें तो, कर अनदेखा,
शायद तेरी संगत उनको, बदले यह अनुभव भी लो ।2।

अनुशासन भोजन में रखना, रहता स्‍वाद जीभ तक ही,
व्‍यर्थ जले या फैंका जाए, घी तो तड़का भर ही लो ।3। 

जब तक हो गुरु ज्ञान नहीं तो, हीरा भी पत्‍थर ही है,
शिखर मिले संगत से समझो, वो तो है पारस छी लो ।4। 

कह कर बुरा न बनना ‘आकुल’,  मार समय की मिलती है,
भरता घाव समय ही तुम तो, केवल उधड़ा व्रण सी लो ।5।

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