26 मई 2023

मित्र सदा जीवन में बस संग रहे

गीतिका

छंद- विशेषिका
विधान- प्रति चरण 20 मात्रा, चरणांत सगण (112)
पदांत- रहे, 
समांत- अंग

मित्र सदा जीवन में बस संग रहे।
तुला संग सदैव ज्‍यों पासंग रहे।

सँभलो करते जिह्वा को लप-लप जो,   
जहर सदैव उगलते सारंग रहे।  

मानव में दो रंग श्‍वेत-श्‍यामल ही,
शेष रंग सदा प्रकृति आसंग रहे।

है अभिशाप एक तंगी में रहना,
अकसर ही जीवन में भ्रूभंग रहे।

रह कर देखा एकाकी ‘आकुल’ ने,
करो बचत गुजर-बसर ना तंग रहे।

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