गीतिका
छंद- सारंगी (वार्णिक)
गणसूत्र - मगण मगण मगण मगण (222X4)
विधान- 12 वर्णीय वर्णवृत्त, जिसमें 8,4 पर यति। वार्णिक छंदों में गुरु को दो लघु एवं दो लघु को एक गुरु वर्ण में लिखना निषिद्ध है।
पदांत- जीना होगा
समांत- आई
विधान- 12 वर्णीय वर्णवृत्त, जिसमें 8,4 पर यति। वार्णिक छंदों में गुरु को दो लघु एवं दो लघु को एक गुरु वर्ण में लिखना निषिद्ध है।
पदांत- जीना होगा
समांत- आई
जैसी पाई जैसे पाई, जीना होगा ।
चाहे रिश्ते हों सौदाई, जीना होगा ।1।
चाहे रिश्ते हों सौदाई, जीना होगा ।1।
हालातों की मारी है ये, काया साँसें,
पाटें या ना पाटें खाई, जीना होगा ।2।
पाटें या ना पाटें खाई, जीना होगा ।2।
खोना-पाना लेखा-जोखा, कर्मों का है,
गीता से शिक्षा ये पाई, जीना होगा ।3।
गीता से शिक्षा ये पाई, जीना होगा ।3।
जो ना हो पाता लक्ष्मी से, आसानी से,
मीठी बोली से हो भाई, जीना होगा ।4।
मीठी बोली से हो भाई, जीना होगा ।4।
सोने के सोपानों से क्या, ऊँचे जाना,
काँधे पे जाना सच्चाई, जीना होगा।5।
-आकुल
काँधे पे जाना सच्चाई, जीना होगा।5।
-आकुल
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