छंद-
तोटक
(112 112 112 112) वार्णिक (12 वर्ण)
पदांत-
दुनिया
समांत-
अनी
सबकी
अपनी अपनी दुनिया.
सबकी कथनी करनी दुनिया.
सबकी कथनी करनी दुनिया.
उसकी
बदली दुनिया जिसकी,
रहती बस आमदनी दुनिया.
रहती बस आमदनी दुनिया.
धन
निर्धन का जितना श्रम ही,
बहती बस वैतरनी दुनिया.
बहती बस वैतरनी दुनिया.
करता
जब साहस जीवन में,
भरती सुख की भरनी दुनिया.
भरती सुख की भरनी दुनिया.
यह
जीवन ‘आकुल’ ज्यों जुगनू
जलती-बुझती जुगनी दुनिया.
जलती-बुझती जुगनी दुनिया.
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