5 सितंबर 2017

सबकी अपनी अपनी दुनिया (गीतिका)



छंद- तोटक (112 112 112 112) वार्णिक (12 वर्ण)
2 को 11 नहीं लिखा जा सकता.
पदांत- दुनिया
समांत- अनी

सबकी अपनी अपनी दुनिया.
सबकी कथनी करनी दुनिया.

उसकी बदली दुनिया जिसकी,
रहती बस आमदनी दुनिया.

धन निर्धन का जितना श्रम ही,
बहती बस वैतरनी दुनिया.

करता जब साहस जीवन में,
भरती सुख की भरनी दुनिया.

यह जीवन आकुलज्यों जुगनू
जलती-बुझती जुगनी दुनिया.

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