जिंदगी उदास क्यों (गीतिका)
छंद-
समानिका
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मापनी- 21 21 21 2
पदांत- क्यों
समांत- आस
द्वेष
आस-पास, क्यों.
क्रोध
का प्रवास, क्यों.
प्रेम
से रहो अगर,
जिंदगी
उदास, क्यों.
रूप-रंग
चार दिन
भूमिका
हो दास, क्यों.
हास-वाग्विलास
हो,
व्यंग्य
औ प्रहास, क्यों.
जिंदगी
आ’भास की,
जो
न आय रास, क्यों.
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