14 सितंबर 2017

जीवन का मधुमास खिला (गीतिका)



गीतिका-
पदांत- लूँ
समांत- अर

मेघों से ले श्वेत रंग, अपनी कूँची में भर लूँ.
रश्मिरथी के पथ से पाती, पचरंगी मैं कर लूँ.

फिर लिख भेजूँ प्रीतम को, संदेश प्रेम का न्यारा,
करने को अभ्यंग सुवासित, चुटकी भर केसर लूँ.

पवन सुगंधित आएगी, लेकर संदेशा पी का,
सज सोलह शृंगार वसन तन, पर सतरंगी धर लूँ.

तन कंचन मन कस्तूरी, होता सिंदूरी यौवन,
करने को सम्मोहित उनको, थोड़ा और सँवर लूँ.

मन की अभिलाषा को पंख, लगे आकुलकुछ ऐसे
जीवन का मधुमास खिला, पी के सँग और ठहर लूँ.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें