नारी
अबला का चोला अब त्यागे.
काली
ने ज्यों संहारा असुरों को,
पाप
बढ़ेगा नारी जो नहिं जागे.
बढ़ी
क्रूरता, अत्याचार बढ़ा है,
अस्त्र
उठे सीमाएँ जो छल्लाँगे.
जोधा
का था त्याग कि हिंदुत्व बचा,
स्वामिभक्त्िा
में पन्ना सी वह लागे.
नहिं
विकल्प हो अब जौहर नारी का,
दुश्मन
को जब रणचंडी बन दागे.
देवों,
वीरों ने सीमा की रक्षा की,
आदि
शक्ति से घर के दुश्मन भागे.
नारी
तुमको बनना है नवदुर्गा,
नहीं
बाँधना अब मन्नत के धागे.
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