20 सितंबर 2018

जहाँ हो पुस्‍तकें ईश्‍वर वहाँ पर है (गीतिका)


छंद- सिंधु
मापनी- 1222 1222 1222
पदांत- वहाँ पर है
समांत- अर
 
जहाँ हो पुस्तकें ईश्वर वहाँ पर है.
जहाँ विश्वास है आदर वहाँ पर है.

युगों से बच रहे संस्कार इस कारण,
धरोहर पुस्तकों का घर वहाँ पर हैं.

भले चुप हैं भले हैं बंद पुस्तों में,
मगर इक शांत सा सागर वहाँ पर है.

तुझे मिल जायेगा हल हर समस्या का,
लिखा मिल जायेगा उत्तर वहाँ पर है.

जहाँ अच्छा लगे रुकना, तुझे ‘आकुल’,
समझ ले तू कि परमेश्वर वहाँ पर है.

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