छंद- सार
समांत- आन
पदांत- बनाये रखना
रिश्तों में जीते हैं हम सब, शान
बनाये रखना.
जीवन में संघर्ष बहुत है, मान बनाये
रखना.
हो सेवा व्यापार परिश्रम, चाह लाभ
की रहती,
लाभ-हानि की शंका का अनुमान बनाये
रखना.
अपने और पराये में कब, फर्क दिखाई
देता,
मित्र रूप में अरि न आ सके, ध्यान
बनाये रखना.
पहुँचेगा गंतव्य नहीं मन, म्लान बनाये रखना.
सारे
जहाँ से अच्छा रहे, भारत मेरा महान,
सत्यमेव
जयते हो जग में, आन बनाये रखना.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें