1 फ़रवरी 2019

आज सोचा तो लगा है, क्यों हँसाते तुम रहे (गीतिका)

छंद- गीतिका
मापनी- 2122 2122 2122 212
पदांत- तुम रहे

समांत- आते

आज सोचा तो लगा है, क्यों हँसाते तुम रहे.
राह में काँटे न आयें, क्यों बचाते तुम रहे.

आँख ढूँढें हर घड़ी पीछा, करें मुझको सदा,
एक पल ओझल मुझे कर, क्यों न पाते तुम रहे.

उफ़ किया होगा मगर, कोई न आहट ही हुई,
दर्द दे कर हम गये, आँसू छिपाते तुम रहे.

उम्र की दहलीज पर, ठोकर लगी जाना तभी,
जब लगे काँधे से आँसू, क्यों बहाते तुम रहे.

स्नेह था ये प्यार था, अनुराग या आसक्ति थी,
प्रेम था निश्छल तभी तो, याद आते तुम रहे.
-आकुल

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