छंद- माधव मालती
मापनी- 2122 2122 2122 2122
समांत- अव
हौसलों के बल किया हर, काम संभव
नारियों ने.
की सफलता नाम अपने, कर पराभव नरियों
ने.
तोड़ कर दस्तूर, सीमायें, नया
संसार देखा,
कुछ अगर खोया लिया भी, खूब अनुभव नारियों
ने.
खेल हो या हो कला, संस्कृति निपुणता
सिद्ध की है,
सम्मिलित हो के त्रिबल में, आज सौरव
नारियों ने.
नारियों ने क्षण हरिक जीया, समझ कर
इक चुनौती
देश का ऊँचा किया है, नाम गौरव
नारियों ने.
कर गुजरने की लिये जब, ठान ली पाई
विजय तब,
है मनाया संग परिवारों के’, उत्सव
नारियों ने.
सौरव- देवी, सुंदर.
सौरव- देवी, सुंदर.
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