7 नवंबर 2022

पुस्‍तक- कुंडलिया छंद संग्रह 'तन में जल की बावड़ी'

 सद्य प्रकाशित कुंडलिया छंद संग्रह पर प्रख्‍यात छंदकार श्री राकेश मिश्र को पुस्‍तक प्राप्‍त होने पर मुक्‍तक-लोक में प्रकाशित उसकी प्रतिक्रिया

लेखक का परिचय

पुस्‍तक- कुंडलिया छंद संग्रह
    मुक्तक लोक को तन मन लगन से समर्पित साहित्यकार एवं मार्गदर्शक डाॅ गोपाल कृष्ण भट्ट आकुल जी की सद्य प्रकाशित कृति " तन में जल की बावड़ी " पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उक्त काव्यसंग्रह दोहा, रोला, कुंडलिनी एवं कुंडलिया छंदों में निबद्ध है। 
    आरम्भ में तेईस प्रकार के दोहे (जो छंदशास्त्रों में वर्णित हैं) शिल्प विधान अंकित करते हुए प्रस्तुत किए गए हैं तदुपरांत उन सभी प्रकार के दोहों के आधार पर समाजोपयोगी, नीतिपरक एवं शिक्षाप्रद दोहावली रचित है।
    द्वितीय अनुभाग में रोला छंदों की मनोहारी छटा पाठक के ध्यानाकर्षण में सक्षम है। तीसरे अनुभाग में कुंडलिनी छंद एवं अंतिम भाग में कुंडलिया छंदों की अनूठी कहन वास्तव में पठनीय अनुकरणीय एवं अविस्मरणीय है। 
छंदकार श्री राकेश मिश्र
    डाॅ आकुल जी का उक्त कवितासंग्रह जीवन एवं प्रकृति के विभिन्न पहलुओं को स्वयं में समाहित किए हुए एक अमूल्य निधि है।
    इससे पूर्व भी आपकी कई पुस्तकें शताधिक हिन्दी छंदाधारित गीतिका संग्रह ,गीत संग्रह के रूप में प्रकाशित हो चुकी हैं। मुक्तक लोक के एडमिन,निरंतर क्रियाशील एवं सशक्त स्तम्भ, विचारक और यशस्वी लेखनी के धनी डाॅ आकुल जी को कोटि-कोटि बधाई नमन। उक्त कृति साहित्य- जगत तथा जनमानस में अपना स्थान बनाएगी ऐसा मेरा विश्वास है,साथ ही मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं कि निकट भविष्य में श्री आकुल जी की छवि छंदशास्त्री के रूप में खुलकर साहित्य-गगन को आलोकित करेगी।

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