प्रणव नाद सँग नारा गूँजे, हिन्दी-हिन्दू-हिन्दुस्तान ।
गूँजे सत्यमेव जयते सँग, जय जवान और जय किसान ।
प्रणव नाद सँग नारा गूँजे..........
हो स्वतंत्रता दिवस अनोखा, मने हौसले लिए बुलन्द,
रश्मिरथी चाँदी बरसाये चंदा दे शीतल मकरंद,
योग बने पावस में ऐसा, अमृत जल का हो रसपान ।प्रणव नाद सँग नारा गूँजे..........
घर-घर फहरे राष्ट्र तिरंगा, दिखे सर्वधर्म समभाव,
दूरी घटें बढ़े सहिष्णुता, और प्रेम का बने स्वभाव,
राष्ट्रगीत का राष्ट्रगान का, स्वाभिमान से हो गुणगान ।
प्रणव नाद सँग नारा गूँजे..........
आज समय है पुन: बता दें, है वसुधैवकुटुंबकम् वेश,
वेदभूमि है मातृभूमि है, अभिमंत्रित है अपना देश,
नहीं राष्ट्र से बढ़ कर कोई, है विकल्प रखना यह ध्यान।
प्रणव नाद सँग नारा गूँजे..........
खेल राष्ट्रमंडल खेलों से, लौटे ले पदकों के हार,
पलकों पर बैठाएगा अब देश हमारा दे उपहार,
किया राष्ट्र का सीना उन्नत, गूँजा वहाँ राष्ट्रीय गान ।
प्रणव नाद सँग नारा गूँजे..........
स्वर्ण, रजत मय ताम्र पदक ले, किया प्रदर्शन श्रेष्ठ अपार ,
लाई रँग मेहनत उनकी जब, स्वप्न हुए उनके साकार,
सभी खेल वीरों का अब हो, भूल न पाएँ वो सम्मान ।
प्रणव नाद सँग नारा गूँजे..........
मने वर्ष पर्यन्त देश में, स्वर्णिम यह अमृत महोत्सव,
हर त्योहार पर्व अब मनना, जैसे घर में हो जन्मोत्सव,
चिरंजीव हो, अमर रहे बस, मेरा भारत वर्ष महान ।
प्रणव नाद सँग नारा गूँजे..........
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