6 नवंबर 2022

नहीं नारी अगर बेपीर होगी

प्रदत्त मापनी- 1222 1222 122 
आधार छंद- सुमेरु 
पदांत- होगी 
समांत- ईर  

नहीं नारी अगर बेपीर होगी ।
नई पीढ़ी नहीं तब वीर होगी ।
 
जहाँ लूटें बगीचे बागबाँ ही,
वहाँ फूटी हुई तकदीर होगी ।
 
भले ही चाँद को चाहें हजारों,
मगर दिन चार ही जागीर होगी ।
 
जहाँ अपनों ने' उसको दर्द बाँटे,
कहीं लैला कहीं वह हीर होगी ।
 
कई किस्से सुने हैं शादमानी*,
महकमे हैं जहाँ वह मीर होगी ।
 
कहीं खोया कहीं पाया बहुत है,
सही में साफ अब तसवीर होगी ।
 
नहीं ‘आकुल’ भरोसा छोड़ना बस,
मुहब्ब्त में कभी तासीर होगी ।

*शादमानी- खुशी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें