छंद- गीतिका छंद
(14-12 अथवा 12-14 की यति पदांत में लघु-गुरु.)
मापनी- 2122 2122 2122 212
पदांत- जाइए
समांत- ए
आज माता का खुला, दरबार है ले जाइए।
आइए माँ की दुआ, दरबार से ले जाइए।1।
नित्य नौ दिन आइये, दुर्भावना को त्याग कर,
मात रानी के चरण में, हाजिरी दे जाइए।2।
दुष्ट को संहारती माँ, है सजी चोला पहन,
नित्य ही परिवार ले के, आरती में जाइये।3।
हाथ खड़्.ग सजे गले, माला सजी है मुण्ड की,
आरती के बाद में सब, भोग भी ले जाइए।4।
आज ‘आकुल’ की सजे, दरबार में है ये अरज,
जागरण करता रहूँ, माँ ये दुआ दे जाइए।5।
(14-12 अथवा 12-14 की यति पदांत में लघु-गुरु.)
मापनी- 2122 2122 2122 212
पदांत- जाइए
समांत- ए
आज माता का खुला, दरबार है ले जाइए।
आइए माँ की दुआ, दरबार से ले जाइए।1।
नित्य नौ दिन आइये, दुर्भावना को त्याग कर,
मात रानी के चरण में, हाजिरी दे जाइए।2।
दुष्ट को संहारती माँ, है सजी चोला पहन,
नित्य ही परिवार ले के, आरती में जाइये।3।
हाथ खड़्.ग सजे गले, माला सजी है मुण्ड की,
आरती के बाद में सब, भोग भी ले जाइए।4।
आज ‘आकुल’ की सजे, दरबार में है ये अरज,
जागरण करता रहूँ, माँ ये दुआ दे जाइए।5।
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