8 मार्च 2017

फुलवारी है नारी

  (गीतिका)
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 पदांत- है नारी
समांत- आरी


इस जगती में सबसे ही न्यारी है नारी.
इस धरती की प्यारी फुलवारी है नारी.


यह निसर्ग उपवन कानन से महका करता,
महकाती घर जन्‍म से' बलिहारी है नारी.


सौरभ से वंचित उपवन भी श्री विहीन है,
श्री विहीन है घर यदि दुखियारी है नारी.


जैसे मगन मयूरी नाचे कोयल गाये,
मदन मोहिनी सोलह सिंगारी है नारी.


‘आकुल’ नारी गौरव गाथा है कुटुम्‍ब की,
कुल किरीट सम्‍मान की' अधिकारी है नारी.

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