आज महाकवि तुलसीदासजी की जयंती है. शत शत नमन.
छंद- दोहा
विधान-अर्द्ध सममात्रिक, 13, 24 पर यति.
दोहे का धागा पिरो,
सूई कलम चलाय.
तुलसी तेरी याद में, चादर दई बनाय,
रामचरित मानस पढ़ी, जब से तुलसी आज.
घर में गीता के सहित, रोज पढ़ी अब जाय.
जो जन जन को मान्य हो, वो ही सफल प्रसंग,
जो मन में उतरे वही, कथा वही मन भाय.
तुलसी-तुलसी घर हुआ, तुलसी के सँग राम,
अब तुलसी हिरदय लगी, धन्य हुई यह काय.
तुलसी हटे न हृदय सौं, तुलसी जय श्री राम.
‘आकुल’ तन हो राममय, तुलसी करो उपाय.
तुलसी तेरी याद में, चादर दई बनाय,
रामचरित मानस पढ़ी, जब से तुलसी आज.
घर में गीता के सहित, रोज पढ़ी अब जाय.
जो जन जन को मान्य हो, वो ही सफल प्रसंग,
जो मन में उतरे वही, कथा वही मन भाय.
तुलसी-तुलसी घर हुआ, तुलसी के सँग राम,
अब तुलसी हिरदय लगी, धन्य हुई यह काय.
तुलसी हटे न हृदय सौं, तुलसी जय श्री राम.
‘आकुल’ तन हो राममय, तुलसी करो उपाय.
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