26 जुलाई 2017

चल सावन आया (गीतिका)

गीतिका
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पदांत- चल सावन आया
समांत- ऊलें.


ऐ आली, झूला झूलें, चल सावन आया.
पींगें देकर, नभ छूलें, चल सावन आया.

तीज, अमावस, होंगे पूरे, सभी मनोरथ,
कुछ पल तो, सुख-दुख भूलें, चल सावन आया.

लहर-लहर, लहराये चूनर, टप-टप बूँदें,
उड़ें आसमाँ, लट चूलें, चल सावन आया.

साँसें उठती-गिरती, छलका जाये यौवन,
तन-मन में, होती हूलें, चल सावन आया.

जी करता है, पी सँग झूलूँ, हार कुबूलूँ,
सोचूँ तो, साँसें फूलें, चल सावन आया.

पींग- झोला, चूल- शिखा, चोटी, हूल- हूक, टीस, खुशी

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