आलस्य
बनें नहीं
वाचाल, करें नहिं, तर्क-वितर्क
कभी.
चाटुकार से
बचें, रखें न, बहुत सम्पर्क
कभी.
व्यस्त रखें, श्रीमान् स्वयं को, करें नहीं आलस्य,
दृष्टि रखें
कब, आँखे दोनों, करती फर्क कभी.
स्फूर्ति
रखें स्फूर्ति, मगर आवेश में, निर्णय लें न कभी.
रहें सजग, जैसे प्रहरी, आलस्य करें न कभी.
गिद्ध सदृश हो दूरदृष्टि, चींटी सी हो कोशिश,
घाघ स्यार सा
हो, कितना भी, सिंह डरें
न कभी.
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