पदांत- करूँ
समांत- आर
समांत- आर
धीरज रख मन, पी आयेंगे,
कुछ तो मैं शृंगार करूँ.
पहले म्हावर या मे'हँदी से, हाथ-पैर गुलज़ार करूँ.
पहले म्हावर या मे'हँदी से, हाथ-पैर गुलज़ार करूँ.
पहनूँ चुनरी और लहरिया, छम-छम पहनूँ
पैंझनियाँ,
फिर सोचूँगी पी आने पर, कैसे मैं मनुहार करूँ.
फिर सोचूँगी पी आने पर, कैसे मैं मनुहार करूँ.
सखियों के सँग झूला झूलूँ, पर मन तो है
राह तके,
कह न सकूँ मैं सखियों से भी, कितना उनसे प्यार करूँ.
कह न सकूँ मैं सखियों से भी, कितना उनसे प्यार करूँ.
आए पी हुलसा तन-मन जब, सखियों ने
भी चुहल करी,
बरसी आँखें देखूँ उनको, नैनों से बौछार करूँ.
बरसी आँखें देखूँ उनको, नैनों से बौछार करूँ.
ऐसे ही हर रँग में रँग कर, बस पी को स्वीकार करूँ.
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