छंद- राधिका (सम मात्रिक)(मापनी मुक्त)
मात्रा भार- 13, 9 = 22
विधान- (1) आरंभ गुरु से, अंत दो गुरुओं से (2) यति से पहले व बाद में त्रिकल आवश्यक (12/21/111)(वाचिक)
पदांत- जीवन है
समांत- अल
जो भी मिलजुल के जिये, सरल जीवन है.
छद्म, द्यूत, छल से जिये, गरल जीवन है.
मंजिल पाते हैं वही, अग्निपथ चलते,
जो उद्देश्य लिए जिए, असल जीवन है.
सागर मंथन से अमृत, हलाहल मिलता,
सुरभित दलदल में जिये, कमल जीवन है.
श्रीहीन होता सदैव, परे माया से,
धीरज के धन से जिए, महल जीवन है.
‘आकुल’ भाग्यवान बने, भू पर भगवान,
कलिमल स्वच्छ करे जिए, सफल जीवन है.
मात्रा भार- 13, 9 = 22
विधान- (1) आरंभ गुरु से, अंत दो गुरुओं से (2) यति से पहले व बाद में त्रिकल आवश्यक (12/21/111)(वाचिक)
पदांत- जीवन है
समांत- अल
जो भी मिलजुल के जिये, सरल जीवन है.
छद्म, द्यूत, छल से जिये, गरल जीवन है.
मंजिल पाते हैं वही, अग्निपथ चलते,
जो उद्देश्य लिए जिए, असल जीवन है.
सागर मंथन से अमृत, हलाहल मिलता,
सुरभित दलदल में जिये, कमल जीवन है.
श्रीहीन होता सदैव, परे माया से,
धीरज के धन से जिए, महल जीवन है.
‘आकुल’ भाग्यवान बने, भू पर भगवान,
कलिमल स्वच्छ करे जिए, सफल जीवन है.
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