4 जुलाई 2017

दो 'दोहा मुक्‍तक'



 चतुर्मास
  मुनि, महंत अरु संत सब, करते प्रभु का ध्‍यान.
देवशयन करते प्रभू, जब तक देवोत्‍थान.
चतुर्मास में इसलिए, हैं निषेध शुभकार्य,
पावस मन विचलित करे, आते सौ व्‍यवधान.  

मन
 इस मन की अब क्या कहूँ, बैठा है ले आस.
निर्मोही पी लो सुधी, आया चातुर्मास.
सावन के झूले पड़े, नहिं सोहे शृंगार,
अंतर्मन विचलित रहे, बढ़ती जाए प्यास.
      

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