13 अगस्त 2024

जिएँ सभी खुशी खुशी, न हो विषाद प्रेम में

गीतिका
छंद- पंचचामर (वर्णिक)
पदांत- प्रेम में
समांत- आद  

न हो कटाक्ष बात में, न हो विवाद प्रेम में।
जिएँ सभी खुशी खुशी, न हो विषाद प्रेम में।

करें विचार व्‍यक्‍त वो, न हो तनाव व्‍यर्थ ही,
न हो विरुद्ध धर्म के न हो जिहाद प्रेम में।

कहीं कभी दुराव हो लगाव हो तनाव हो,
बढ़े न दूरियाँ कभी न हो प्रमाद प्रेम में ।

न शर्त हो, न दाँव हो, छले नहीं, न खेल हो, 
असीम हो, न बंध हो न हो मियाद प्रेम में।

कभी कहीं नसीब से मिले कभी मिले नहीं,
पवित्र भेंट ईश्‍वरीय है मुराद प्रेम में ।   

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें