गीतिका
छंद- शील (वर्णिक)
मापनी- 112 112 112 11
पदांत- पर
समांत- अती
अपराध घटें सखती पर।
झट न्याय मिले गलती पर।
पटरी पर आ सकते दिन
अब स्रोत बढ़ें भरती पर।
हर चीज मिेले अब वाजिब
कम हों महँगी बिकती पर।
अब काम करे हर मानव
मत आय रखे गिनती पर।
मिटती हर चीज यहाँ नित,
यह प्रीत नहीं मिटती पर।
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