छंद- शील (वर्णिक)
मापनी- 112 112 112 11
पदांत- पर
समांत- अती
अब आतिश सी सखती पर।
बस बारिश हो धरती पर।
अब धूप न राहत दे कुछ
घर जंगल में बसती पर।
लगता यह जीवन शापित,
रहते धरती तपती पर।
अब मेघ करें नित बारिश,
हद गर्म हवा चलती पर,
हर ओर चले मलयानिल,
नव कानन हों जगती पर।
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