10 अक्तूबर 2018

वल्‍लभ के घर होय बधाइ

गोस्‍वामी विनय बावाश्री (कोटा) के जन्‍मदिवस के उपलक्ष्‍य में प्रकाशित स्‍मारिका के लिए बधाई सामग्री

मत्‍तगयंद सवैया- बधाई 
भाग कहौ यह वृक्ष कदम्‍ब सुँ राजत हैं प्रभु आँगन जाके.
लाल गुपाल भये द्वय भ्रात विनै-शरद: प्रभु आँगन जाके.
लाड़ लड़ायँ रहें सकुटुम्‍ब सप्रेम सबै प्रभु आँगन जाके.
‘आकुल’ वल्‍लभ के घर होय बधाइ कहें प्रभु आँगन जाके.
                                                                                                                                                 
कवित्‍त
1
वल्‍लभकुलावतंस, को है जनमदिवस, आज वल्‍लभ के घर, खुसियाँ मनाय हैं.
झाँझ, ढफ, पखावज, गाजे बाजे सँग सज, ढाँढनिया बन कर, रसिया सुनाय हैं.
धन्‍न देख आज सब, बल्‍लभ बुलाये सब, ब्‍हैन-बेटी आय कर, आरती कराय हैं.
बाल बिंद सब खड़े, जाति के भी छोटे बड़े, सब दें आसीरवाद, देख हरसाय हैं.
2
पूजन विधि के मध्य जोतिसी ने भी समक्ष टेवा और बर्सफल हरस सुनाये हैं.
नंद के आनंद भये, ग्‍वाल बाल मस्‍त भये, केसर स्‍नान चरणामरत पाये हैं.
भक्‍त शिष्‍य प्रेम दर्श करें सब चर्ण स्‍पर्स भाग जो समीप सौइ निरख सुहाये हैं.
आज दिन आयो धन्‍य, भाग से ही सब जन्‍य, जाने भी जो आज अधरामरत पाये हैं. 

छंद- वाचिक भुजंगी
सभी पर्व त्‍योहार मनते रहें।
समादर व सत्‍कार करते रहें।।

सभी भाग लें उत्सवों में यहाँ।
समाधान के द्वार खुलते रहें।।

यहाँ पर न चर्चाएँ हों व्‍यर्थ की।
करें ध्‍यान कीर्तन में’ रमते रहें।।

करें सब जपें सब जै’ श्रीकृष्‍ण ही,
समर्पण के’ सम भाव पलते रहें।।

करें नित्‍य दर्शन सभी झाँकियाँ।                                                                  
सभी लाभ वल्‍लभ का' भरते रहें।।

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