गीत
होली है होली है भाई यह ब्रज की होली है।
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धूम मची है धूम मची है होली है होली है।
बरसाने में रार मची है होली है होली है।
सभी जगह होरी मनती पर बरसाने में होरा,
नंदगाँव बरसाने जैसी होली ही होली है।
होली है होली है भाई यह ब्रज की होली है।।1।।
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नंदगाँव से बरसाने तक होली में रँग जाओ,
मथुरा वृन्दावन की होली के क्या कहने भाई,
बन्दर भी यहाँ होली खेलें, उनसे भी रँग जाओ।
पर उनके ना रंग डालना उनकी भी टोली है।
होली है होली है भाई यह ब्रज की होली है।।2।।
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शहनाई ढफ झाँझ मंजीरे चिमटा ढोल मृदंगा ।
नंदगाँव के छोरे आएँ छोरी बरसाने की,
लट्ठ मार के कृत्रिम युद्ध को ही कहते हुड़दंगा।
इतना जोश गालियाँ दें फिर भी मीठी बोली है।
होली है होली है भाई यह ब्रज की होली है।।3।।
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दिन भर होली खेलें होली साँझ ढले रुकते हैं।
राधे रानी के मंदिर जा सभी गले मिलते हैं।
तकरार रार भूल कर आपस में देते हैं लड्डू,
भाँग, ठँडाई, रबड़ी के कुल्हड भी कम पड़ते हैं।
तब निहारना निश्छल, हर गोपी कितनी भोली है।
होली है होली है भाई, यह ब्रज की होली है।।4।
-आकुल, कोटा (मुक्तक-लोक)
बहुत सुंदर होली गीत आदरणीय।
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