3 मार्च 2019

भाल हुआ ऊँचा (मुक्‍तक)

1
मुक्‍तक
छंद- सरसी, 16, 11 अंत 21 से.
भाल हुआ ऊँचा, लौटा जब, मातृभूमि का लाल.
बिना शर्त छोड़ा, दुश्‍मन को, होगा बहुत मलाल.
बर्बरता की फितरत दिखला, बैठा फिर नापाक,
भूल न पायेगा बरसों वह, ऐसी दी है’ मिसाल.

2
मुक्‍तक
छंद- विष्‍णुपद (सम मात्रिक) 16, 10 अंत 2 से.
अदम्‍य साहस की है’ कहानी, विश्‍व अचंभित है,
यान भले ही था कमतर पर, धैर्य अकल्पित है.
सही मायनों में चालक की, अहम भूमिका थी,
सही वक्‍त पर अभिनंदन का, शौर्य प्रशंसित है. 



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें