छंद- आल्ह.
पदांत- हैं दिन रात
समांत- आते
शिव
करते कल्याण भक्तजन ,
शिव-शिव
गाते हैं दिन-रात.
करते पूजा शिवलिंगों की, जोश बढ़ाते हैं दिन-रात.
करते पूजा शिवलिंगों की, जोश बढ़ाते हैं दिन-रात.
ज्योतिर्लिंग
जहाँ हैं थापित,
जाते
उन तीर्थों को भक्त,
तीर्थाटन से तन मन सारे, पुष्ट बनाते हैं दिन-रात.
तीर्थाटन से तन मन सारे, पुष्ट बनाते हैं दिन-रात.
करते
जन कल्याण महाशिव,
हालाहल
पी बने महेश,
जीवन का विषकूट पिये वह, भक्त पुजाते हैं दिन-रात.
जीवन का विषकूट पिये वह, भक्त पुजाते हैं दिन-रात.
श्रीगणेश, शिव, नंदी, गौरी, कार्तिकेय
जो जपते नित्य,
कोटिक शिवगण रक्षा करते, जान बचाते हैं दिन-रात.
कोटिक शिवगण रक्षा करते, जान बचाते हैं दिन-रात.
भजो
सभी ‘ओम नम: शिवाय',
आज
पर्व है'
महाशिवरात्रि
,
भजते हैं जो नित शिव को वे, कृपा लुटाते हैं दिन-रात
भजते हैं जो नित शिव को वे, कृपा लुटाते हैं दिन-रात
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