29 जून 2019

वर्तमान को सुधार (गीतिका)


छंद- मल्लिका छंद (वार्णिक)
मापनी- 21 21 21 21
पदांत- 0
समांत- आर

क्‍यों नहीं कभी कभार.
आदमी करे विचार.

प्‍यार से बड़ा न धर्म
कर्ज से बड़ा न भार

जिंदगी मिली सशर्त,
मौत है मिली उधार.

देव की मिली न योनि 
क्‍यों बने रँगा सियार.

सूर्य में न देख अग्नि,
धूप से मिटें विकार.

जिंदगी उदारता व
सद्विचार से सँवार.

जन्म क्‍यों हुआ न सोच,
वर्तमान को सुधार.

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