19 जून 2019

लगा सके यदि लगा पौध या वृक्षों की पाली है (गी‍तिका)

छंद- सार 
विधान- 16, 12, अंत 22. 
पदांत-0 
समांत- आली 
कर रक्षा जैसे करता तू, घर की रखवाली है.
जिस घर वातावरण शुद्ध हो, और स्‍वच्‍छता भी हो, 

मानो या मत मानों उस घर मनती दीपाली है.
धरती झूमेगी वृक्षों से, तब मेघाकर्षण हो. 

कर सकता है वन उपवन की रक्षा बस माली है। 
जनसंख्‍या पर रहे नियंत्रण, शिक्षित आज सभी हों,  

नहीं प्रदूषण हटे बिना तो मुश्किल हरियाली  है.
बचत आर्थिक तंगी को है करती दूर सदा ही,

मितव्‍ययता सदैव ही सबको, देती खुशहाली है.
कहने को कुछ भी कह लो पर, है यह ही सच्‍चाई,

हमने आज प्रकृति को लूटा पर  झोली खाली है। 
आकुल दूर प्रदूषण हो तो रुक सकती बदहाली,

जंग लगे ताले खुल सकते हैं यह वो ताली है।   
लगा सके यदि लगा पौध या वृक्षों की पाली है. 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें