छंद-
रोला (अर्द्ध सम मात्रिक)
विधान- 24 मत्रा, 11, 13 पर यति (दोहा का उल्टा), रोला का चलन विषम चरण 4,4,3 या 3,3,2,3 अंत गुरु लघु आवश्यक. इसी प्रकार सम चरण 3,2,4,4 सर 3,2,3,3,2 से श्रेष्ठ माना गया है. त्रिकल के बाद त्रिकल का संयोजन आवश्यक.
पदांत- 0
विधान- 24 मत्रा, 11, 13 पर यति (दोहा का उल्टा), रोला का चलन विषम चरण 4,4,3 या 3,3,2,3 अंत गुरु लघु आवश्यक. इसी प्रकार सम चरण 3,2,4,4 सर 3,2,3,3,2 से श्रेष्ठ माना गया है. त्रिकल के बाद त्रिकल का संयोजन आवश्यक.
पदांत- 0
समांत-
औती
घूँघट
में आक्रोश, मिली है आज चुनौती.
कर
जायें वो काम, शत्रु को लगे पनौती.
अब न
बचेगा शत्रु, करेंगे पूर्ण मनौती.
कितना
है खूँखार, निर्दयी जहर भरा है,
मृत्युदंड
हो मात्र, नहीं हो कहीं कटौती
घूम
रहे हैं साँड बिना बधिया सड़कों पर,
डालें
अभी नकेल, न देना पड़े फिरौती.
हद
कर दी है धैर्य, पार सीमा के पहुँचा,
आओ
गंगा मात, करो अब सिद्ध कठौती.
रणचंडी
तैयार, दंभ पाले न पुरुष अब,
देना
होगा साथ, नहीं तो खत्म बपौती.
मासूमों
की जान, न जाये ‘आकुल’ फिर से
है
तुझसे अरदास, प्रभू मेरी इकलौती.
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