1 जून 2019

छंदबद्ध हों तभी सभी के, बीच सुनाऊँ मैं (गीतिका)

छंद- विष्‍णुपद सम मात्रिक
विधान- 26 मात्रा भार, 16, 10 पर यति अंत गुरु से.
पदांत- मैं
समांत- आऊँ

छंदबद्ध हों तभी सभी के, बीच सुनाऊँ मैं.
किसी राग में कर निबद्ध ही, गीत बनाऊँ मैं.

झूमे उपवन झूमें बुलबुल, मैना कोयल भी,
मधुबन की भी कलियाँ चटकें, प्रीत बढ़ाऊँ मैं.

मेघ मल्‍हार सजे गीतों पर, बरसें बादल भी,
दीपक राग सजे गीतों से, दीप जलाऊँ मैं.

माँ वाणी का जादू छाये, गीतों से नभ पर,
सात सुरों का जादू भू पर, जब फैलाऊँ मैं.

छंद, राग, लय, कथ्‍य, शिल्‍प से जब कर के शृंगार,
गीत बनें सतरंगी, इंद्रधनुष बन जाऊँ मैं. 
  

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