छंद-
पीयूष वर्षी
मापनी-
2122 2122 212
विधान-
शिल्प:- १२+७ या १०+९=१९मात्राएँ,
अंत में
लघु
गुरु अथवा १११ (नगण) भी हो सकता है।
पदांत-नहीं
पदांत-नहीं
समांत-
ओना
कम सफलता
यदि मिले, रोना नहीं.
हाल
हर जीवन कभी, खोना नहीं.
बातियों
से रोशनी, हो ना बहुत,
जुगनुओं
से रोशनी होनी नहीं.
कौन
है बैठे हुए, जो खुश रहा,
व्यर्थ
बैठे तू बदन, ढोना नहीं.
है सफलता
सूत्र बस, कर्मण्य बन,
हो
हमेशा ही खरा, सोना नहीं.
क्यों
नहीं संतुष्ट है, इंसाँ यहाँ,
है
सफलता टोटका, टोना नहीं
आज
तुझसे जिंदगी करें बहस,
हार
कर करना कभी, कोना नहीं.
श्रम
सदा करना मिलेगा, फल तुझे,
तीर्थ
जाके पाप तू, धोना नहीं.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें