छंद-
इंद्रवज्रा (वार्णिक)
मात्रा-
11 मात्रा भार. अंत दो गुरु से.
मापनी-
221 221 121 22
(लय
के लिए गीत- जो प्यार तूने मुझको दिया
था,
वो
प्यार तेरा मैं’ लौ’टा रहा हूँ.
जैसी
मिली है भगवान ने दी, ये जिंदगी है, चलती रहेगी.
रो
के बितायें, हँस के बितायें, जैसी बितायें, फलती रहेगी.
प्रारब्ध
में है उतना मिलेगा, कोई भरेगा नहीं जिंदगी में,
ज्यादा
न आशा करना कभी भी, ये जिंदगी को छलती रहेगी.
आजाद
हो के न उड़ ऐ परिंदे, होंगे अकेले कुछ हादसे भी,
जो
हौसलों के दम पे जलाई, लौ जिंदगी की जलती रहेगी.
हालात
का है इनसान मारा, ना चाहता है फिर भी जिया है
थोड़ी या ज्यादा सबको मिली है, ये
आपबीती पलती रहेगी.
यूँ
जिंदगी से मत हो खफा तू, राजा भिखारी इसने बनाये
वो ही
बना है इतिहास तूने, जैसा रचा है, ढलती रहेगी
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