छंद-
शंकर
शिव
ही हैं कल्याण अनवरत भजिये आप नित्य.
शिव ही हैं विश्वास हृदयस्थ रखिये आप नित्य.
सत्यम्-शिवम्-सुंदरम् का है, स्वरूप महादेव,
गौरी-गणेश-कार्तिकेय के, शिव आराध्य देव,
कालकूट विषपायी इनको, कहते नीलकंठ,
‘आकुल’ प्रभुदयाल हैं होते, शीघ्र सदा प्रसन्न,
विधान-
26 मात्रा, 16, 10 पर यति, अंत 21.
पदांत-
आप नित्य
समांत-
इये
शिव ही हैं विश्वास हृदयस्थ रखिये आप नित्य.
सत्यम्-शिवम्-सुंदरम् का है, स्वरूप महादेव,
‘ओम् नम: शिवाय’ सिद्धमंत्र, जपिये आप नित्य
गौरी-गणेश-कार्तिकेय के, शिव आराध्य देव,
ये
त्रिदेव में एक हैं दर्शन, करिये आप नित्य
कालकूट विषपायी इनको, कहते नीलकंठ,
नैवेद्य-पुष्प
शिवमंदिर में, धरिये आप नित्य.
‘आकुल’ प्रभुदयाल हैं होते, शीघ्र सदा प्रसन्न,
पास
शिवाला हो कुछ क्षण को, रुकिये आप नित्य.
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