गीतिका
छंद- विद्युल्लेखा (वाचिक)
मापनी- 222 222
पदांत- है
समांत- ओता
जीवन इक, सोता है।
कर्मों को,
धोता है ।1।
जो लेता, है दिल पर,
देखा ही, रोता है।2।
जो सेता, दु:खों को,
पाता है, खोता है ।3।
तरसा है, फूलों को,
काँटे जो, बोता है।4।
अकसर हर, निष्क्रिय ही,
अवसर को, खोता है।5।
मन जैसा, हो हर-दम,
ऐसा कब, होता है।6।
जीवन में, कर गुजरो,
हर क्षण इक, न्योता है।7।
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