मुक्तक 1
छंद- मणिमाल (वार्णिक)
सूत्र- स ज ज भ र स औ ल
११२ १२१ १२१ २११ २१२ ११२ १
सुगम मापनी- ११२१२ ११२१२ ११२१२ ११२१
दुख में करे जग जो सुखी प्रभु को करे यदि याद।
सुख में सभी हटते रहे मन में भरे अवसाद।
कब स्वर्ग भी दुख से बचा इतिहास ‘आकुल’ देख,
कर याद तू मत मोल ले कलिकाल में प्रतिवाद
मुक्तक 2
मत्तगयंद सवैया मुक्तक
211/ 211/ 211/ 211/ 211/ 211/ 211/ 22
राम लला ढब देख रहे चहुँ माहिर नाटक में सब
नेता।
जो न मिले बरसों फिर रोज मिले घर जा कर के
सब नेता।
लोक लुभावन बात करें चिकनी चुपड़ी चलते
हर चालें,
बंद हुए मत भाग्य खुलें अब देख रहे सपने सब नेता।
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