गीतिका
पदांत- की बात कर
समांत- आने
मापनी- 2212
2212 2212 12
पिछड़े
हुए को साथ में लाने की’ बात कर.
भटके
हुए को राह दिखलाने की’ बात कर.
ढेरों
मिलेंगे शूल हर पथ पर विकास के,
हारे
हुए को हाथ दे आने की’ बात कर.
मिलती
कहाँ हैं शांति मन में तृप्त जो नहीं,
बहके
हुए को सत्य समझाने की’ बात कर.
अब
पक्षियों की चहक भी होने लगी है’ कम,
उजड़े
हुए घर उन के’ लौटाने की’ बात कर.
कम
हो रहे हैं बाग वन दूषित हवा चले,
सूखे
हुए मधुबन को’ सरसाने की’ बात कर.
सीमित
रहें ज्योनार हों न बुफे के’ चोंचले,
उच्छिष्ट
हुए’ भोजन को’ बँटवाने की’ बात कर.
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