24 नवंबर 2017

मत अहम् को कड़ा कीजिए (गीतिका)



आधार छंद- महालक्ष्‍मी
मापनी- 212 212 212
पदांत- कीजिए
समांत- अड़ा
 
मत बहस में पड़ा कीजिए.
मत बखेड़ा खड़ा कीजिए.

क्‍या हुआ जो न तुम थे गलत,
मत अहम् को कड़ा कीजिए.

व्‍यर्थ सिरदर्द क्‍यों मोल लो
मत हमेशा अड़ा कीजिए.

सामने देख शर्मिन्‍दगी,
बात को मत बड़ा कीजिए.

जिंदगी यूँ चलेगी सदा.
जान कर मत लड़ा कीजिए.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें