मात्रा भार- 30. (चौपाई+14)
अंत 3 गुरु (वाचिक) से
अनिवार्य.
अनिवार्य.
पदांत- था
समांत- आया
(केदारनाथ त्रासदी)
तुमने हे प्रलयंकारी वह, रूप
कराल दिखाया था.
तुमने हे केदारनाथ तब, जो
विध्वंस मचाया था.
तोड़ बंधनों को गंगा ने,
क्रोध जताया था उस दिन,
तुमने हे त्रिनेत्रधारी जो,
रौद्र रूप दरसाया था.
तुमने ही हे उमानाथ यह, हमको
भान कराया था.
जीवन में बस हो न प्रदूषण, स्वर्ग
धरा बन जाएगी,
तुमने हे त्रिदेव भयहारी, यह
कर सिद्ध बताया था.
बस विनाश के सिवा न ‘आकुल’,
पाएगा कुछ भी मानव,
तुमने हे कल्याण सदाशिव,
मानव को समझाया था.
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