छंद-
विष्णु पद (सम मात्रिक)
मापनी-
26 मात्रा, 16, 10 पर यति अंत गुरु (वाचिक)
पदांत-
आने वाला कल
समांत-
आए
ढेरों
सौगातें ले आए, आने वाला कल.
सुख
समृद्धि की हवा बहाए, आने वाला कल.
सूरज
उगे नई ऊर्जा दे, चंचल पंख लगें,
नया
एक आकाश दिखाए, आने वाला कल.
ध्येय
लिए अब चल उठ बंदे, राह नई इक चुन,
जो
चलता है राह बताये, आने वाला कल.
साँझ
पड़ें फिर भी मत थकना, कब है समय रुका
गुजर
गया जो लौट न पाए, आने वाला कल.
जो
चलते गंतव्य पहुँचते, बनते शिखर पुरुष
जीवन
का संगीत सुनाए, आने वाला कल.
सबकी
अपनी अपनी है गति, कल भी थी दुनिया
कल
की नींव सुदृढ़ कर जाये, आने वाला कल.
'आकुल' सहज मार्ग है जीवन, सहज बिताए जो,
सहज प्रेम का पाठ पढ़ाए, आने वाला कल.
'आकुल' सहज मार्ग है जीवन, सहज बिताए जो,
सहज प्रेम का पाठ पढ़ाए, आने वाला कल.
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