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पढ़ लिख कर सेवा
को सब प्रस्थान करें।
प्रथम प्रगति संकल्प
राष्ट्र उत्थान करें।
शिक्षा, संस्कृति,
धर्म राष्ट्र का मूल हैं,
सर्वांगीण प्रगति
हो अनुष्ठान करें।
दाँव-पेच से जीती जाती है कुश्ती
की होड़।
राजनीति भी की जाती है कर के
जोड़-तोड़।
साँठ-गाँठ से ही जीता जाता है गढ़
दुश्मन का,
दोड़-धूप से जीती जाती है जीवन की
दौड़।।
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