(चूँकि हायकु एक वार्णिक छन्द (5/7/5) है, इसलिए इस गीतिका में मात्रा भार पर ध्यान नहीं दिया गया है। )
हो गया शुरु / क़ातिलों
को काटना / वंदे मातरं।
हो गया शुरु /
फ़ासिलों को काटना / वंदे मातरं।1।
गिद्ध दृष्टि’ से / देखेंगे तो देखना/ कैसे भागेंगे
हो गया शुरु /
नाजियों को काटना / वंदे मातरं। 2।
कायरो सुनो / अब जो हाथों पड़े / हाथ जायेंगे
हो गया शुरु /
बाजुओं को काटना / वंदे मातरं।3।
रक्त की होली
/ जान पर खेली है / कैसे छोड़ेंगे
हो गया शुरु / नादिरों को काटना / वंदे मातरं।4।
जिन पातों से
/ चाल चली सालों से / मात खायेंगे
हो गया शुरु / काफ़िरों को
काटना/ वंदे मातरं।5।
क़ातिलों- हत्यारे; फासिलों- अलग
करने वाले;
नाजियों- नाज़ी जैसे अत्याचार करने वाले;
नादिरों- नादिरशाही की तरह
क्रूर कृत्य करने वाले;
क़ाफिरों- धर्म को न मानने वाले।
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