गीतिका (विजात छंद)
1222 1222 1222 1222
हमारे देश की
रक्षा की, जब-जब बात आई है।
जवानों ने वतन
के वास्ते जाँ तक लुटाई है।1।
कई तूफान आए
और आँधी ने सताया है,
हुआ है एक जुट
भारत, अमन की लौ जलाई है।2।
रखा है मान वीरों ने, तिरंगे का हिमाचल का।
रखा सम्मान
वीरों ने, धरा का, माँ के आँचल का।
कभी दुश्मन
डराता है, करे यदि वार धोखे से,
न की जाँ की
कभी परवा, धू’ल उसको चटाई है।3।
कभी बापू जवाहर लाल, की आजाद की
बातें।
सदा करते हैं माँ के लाल सरहद पर
यही बातें।
कई किस्से कहानी हैं, कई हैं शौर्य गाथाएँ,
भगत सिंह की
शहादत भी, अभी तक ना भुलाई है।4।
यहाँ मनती दिवाली है, बड़े चैनो अमन से ही
यहाँ मिलते
गले हैं ईद, होली पर अमन से ही
यहाँ गंगो जमन
की सभ्यता, शिखर को छूती है,
बिरज भूमि है
कान्हा ने, यहाँ बंसी बजाई है।5।
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