धर्म मूल है राष्ट्रीयता' पहचान है।
भाईचारा मानवीयता परिधान है।
सर्वधर्म समभाव कसौटी सहिष्णुता की,
कर्म मूल है भगवद्रगीता का आख्यान है।
।1।।
अधर्म
कन्या भ्रूण हत्या, दुष्कर्म, नारी अत्याचार।
बाल विवाह, उत्कोच, दहेज, हिंसा, भ्रष्टाचार।
शोषण, जन आंदोलन, आहत धार्मिक भावनाएँँ,
यह अधर्म है, यदि राष्ट्र नहीं करता है परिहार।।2।।
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